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क्या कहूॅ और कहने को क्या रह गया।

क्या कहूॅ और कहने को क्या रह गया।

कही बार इन्सान के जीवन मे ऐसी स्थिती आती है। जो इन्सान चाहता है वह सामने आ गया तो लगता है -कहने को क्या रह गया ।हम किसी की राह देखते है बहूत साल से और अचानक एक दिन वो सामने आ जाता है तभी ऐसी स्थाति आती है। बहूत बार लोग पैसा पैसा करते है पर मिलता नही और अचानक एक दिन हमारी जरूरत से जादा पैसा मिलता है तब लगता है -- और कहने को क्या रह गया। कही बार आॅफिस मे वही काम करके बोर हो जाता है और एक दिन बाॅस बोलता है तुमारा प्रोमोशन हो गया काम बदल गया जो चाहिए वो काम और पैसा मान मिल जाता है तब विचार आता है --क्या कहूॅ और कहने को क्या रह गया। कही बार बीबी नही तो पती बहूत दिनो से घर से बाहर होते हम लोग इंतजार करते है और अचानक कुछ घंटे मे वो सामने आते ही गले लगता है तभी लगता है ---और कहने को क्या रह गया । birthday किसी को याद नही ऐसा लगता है और अचानक हमारा पार्टनर हमारे लिए पार्टी रखता है सरप्राईज .तभी कहने को पडता है ----और  कहने को क्या रह गया।कही बार तब्बेत के कारण अॅडमिट करना पडताहै  डाॅक्टर बोलता है ऐसा रोग है वैसा है तब आदमी घबरा जाता है और टेस्ट करने के बाद पता चलता है कुछ भी रोग नही तभी वो इतना खुशी होताहै और गुनगुनाता है -- और कहने को क्या रह गया।शादी के मामले मे हमे वो व्यक्ती बहूत पसंद है लेकीन उसका हा या नही कुछ समजता  नही और कुछ महीने के बाद उनका reply हा मे बदल जाता है तब लगता है  ----और कहने को क्या रह गया। हम अपनी कार से दूर कही जा रहे है और अचानक सामने से ट्रक आता है कार का भारी नुकसान हो जाता है पर हमारे किसी को कुछ नही होता हम सब बच जाते है तब मुॅह से निकलता है ---- और कहने को क्या रह गया।  कुछ बार हमारे बेटे या बेटी को सोचा था उस से ही जादा मार्कस मिलता है और जहाॅ चाहिए वहाॅ उसका अॅडमिशन हो जाता है तब बहूत अच्छा लगता है तभी स्थिती आती है --- क्या कहूॅ और कहने क्या रह गया ।तुम्हारे जीवन मे भी ऐसे बहूत सारे प्रसंग आये होंगे सोचो और बोलो ---- क्या कहूॅ और कहने को क्या रहृ गया।
प्रा. दगा देवरे

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