कभी ना मिले दुबारा
आता है कभी ऐसा दु:ख
दुरवर नही दिखता सुख
तब लगता है ऐसा दु:ख ना मिले दुबारा
कोई आदमी मिलता है राहपर
गम दे जाता है जिंदगीभर
तब लगता है ऐसा आदमी ना मिले दुबारा
कोई शब्द ऐसा सुनाता है
सुनकर मन सैरभैर हो जाता है
तब लगता है ऐसे शब्द सुनने को ना मिले दुबारा
कभी देखते है भयानक अपघात
तभी मन हो जाता है अशांत
तब लगता है ऐसा अपघात देखने को न मिले दुबारा
किसी समय बारिश आता है
सब जगह हाहाकार मचा देता है
तब लगता है ऐसा बारिश नही चाहिए दुबारा
कभी करते है हम सफर
सफर से परेशानी नही होती है दूर
तब लगता है ऐसी सफर नही चाहिए दुबारा
प्रा. दगाजी देवरे
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